विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पूर्णिया में हुआ पौधरोपण एवं पर्यावरण संवर्धन संरक्षण कार्यक्रम।
पूर्णिया के न्यू सिपाही टोला में 89 वर्षीय बुजुर्ग भोलानाथ आलोक जी के निवास स्थान ‘कविता परिसर’ में बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष श्री भोलानाथ आलोक जी की अध्यक्षता में कोरोनावायरस गाइड का पालन करते हुए भोलानाथ आलोक, नित्यानंद कुमार,अशोक कुमार सिंह इन्द्रियां तथा राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त प्राचार्य संजय कुमार सिंह एवम् अन्य ने एक परिचर्चा में भाग लिया तथा इसमें बुजुर्ग भोलानाथ आलोक जी ने कहा कि वृक्ष लगाना जरूरी है।आज के कोरोनाकाल में आक्सीजन की महत्ता लोगों को समझ में आई। कितने व्यक्ति आक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ दिये। कविता परिसर में आम कटहल कदम्ब नारियल करूणा कनेल एवम् अन्य चालीस पेड़,बांसबिट्टी दरवाजे पर लगे हैं।मालदह, बरमसिया आम,अनार आदि के पौधे दरवाजे पर लगे हैं,रंग बिरंगे के फूलों से सजा है परिसर।कैक्टस की अनेक भेराइटी यहां देखी जा सकती है। कविता परिसर “पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ” सरकारी संकल्प के बहुत पहले से पेड़ पौधों से आच्छादित किया गया है।बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष श्री आलोक जी ने कहा कि उन्होंने पुरैनियांँ देखा और पूर्ण अरण्या भी।पूर्ण अरण्या ही सचमुच पूर्णिया की पहचान थी और बदलते परिवेश में पूर्ण अरण्या ही हमारी पहचान होनी चाहिए। अंग्रेजी शासन काल में नीम पीपल वटवृक्ष बेल युकेलिप्टस ,मोहागनी और सागौन जैसे पेड़ लगाए जाते थे और सड़क किनारे गुलमोहर अमलतास मौलसरी चम्पा और अन्य अनेक सुन्दर खूबसूरत फूल देने वाले पेड़ पौधों की भरमार थी,सड़कें गुलजार थीं पर अब लोग इससे उदासीन हो गये हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर करोड़ों की राशि से करोड़ों वृक्ष लगाने की बात हर साल सुनते हैं पर सड़कें सूनी हैं, कहीं छाया नहीं।ऐसा प्रतीत होता है कि पौधारोपण कर लोग या सरकारी महकमा अथवा वन विभाग अपना इतिश्री समझ लेते हैं।आखिर सरकारी स्तर पर लगाए गए पेड़ क्यों जीवंत नहीं रहते?
कितना सुन्दर स्लोगन हमारा मार्गदर्शन करता है
“लगाना हो तो पेड़ लगाओ आग लगाना मत सीखो।”
हमारे जीवन में इसका महत्व बहुत महनीय है,न केवल वनस्पति विज्ञान में बल्कि धार्मिक अनुष्ठान में भी इन पौधों का बड़ा महत्व होता है। उन्होंने कहा कि उनके जन्मग्राम रूपौली के झलारी गांव में प्रचलन था कि समाज के कथित बड़े लोगों में से किन्हीं का निधन होता था तो गौ-दान की तरह आम के पेड़ का दान समाज के लिए किया जाता था।नगर निगम क्षेत्र में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम अपने क्षेत्राधिकार में मकान का नक्शा पास करते समय इस आशय का आदेश भी जारी कर सकता है कि परिसर के रकबा के हिसाब से एक पेड़ जरूर लगाएं।जय पर फुलवारी लगाकर, गमलों गुलदस्तों में भी बगिया सजा सकते हैं।हर आंगन और फूलवारी में तुलसी के पौधे लगाने पर भी हम जोर देने चाहिए। फेफड़ों की मजबूती में प्राकृतिक आक्सीजन का जितना महत्व होता है उतना कृत्रिम आक्सीजन से नहीं।उन्होंने पोधारोपन कर पर्यावरण संवर्धन संरक्षण हेतु लोगों से आह्वान किया।