पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में शुक्रवार को 25 मामलों की सुनवाई,दो परिवारों का बसा घर।
पूर्णिया पुलिस अधीक्षक दयाशंकर द्वारा संचालित पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में शुक्रवार की देर शाम तक 25 मामलों की सुनवाई की गई जिसमें से दो परिवारों को समझा बुझा कर उनका घर बसा दिया गया बाकी लोग जो समझाने बुझाने के बाद भी नहीं समझ सके उन्हें थाना अथवा न्यायालय से अपने मामले को सुलझा लेने की सलाह दी गई एक मामला में एक तरफा फैसला दिया गया एक मामला रानी पतरा की काव्या काल्पनिक नाम एवं सरसी के बलराज काल्पनिक नाम का केंद्र में आया दोनों आपस में प्रेम करते थे और प्रेम करने के बाद दोनों ने अंतरजातीय विवाह भी कर लिया विवाह से पूर्व दोनों प्रेमी प्रेमिका सिलीगुड़ी भी घूमने के लिए गए थे शादी के बाद जनकपुरी भी घूम कर आई थी किंतु इस अंतरजातीय विवाह से दोनों पक्ष के माता पिता नाखुश थे जिस कारण से मनमुटाव बढ़ता गया मामला पुलिस अधीक्षक के जनता दरबार तक पहुंच गया पुलिस अधीक्षक दयाशंकर ने मामला को सुलझाने के वास्ते पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के पास भेज दिया जहां पिछले सप्ताह केंद्र ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर मिला दिया गया था लड़की पति के साथ जाने के लिए तैयार हो गई किंतु उसकी मां ने हस्तक्षेप किया और कहा 15 दिन सोच विचार करके बताऊंगी किंतु इस बीच पति पत्नी ने आपस में मोबाइल पर बातचीत कर यह सहमति बनाई कि 15 दिन नहीं बल्कि इस केंद्र से इस केंद्र से पत्नी पति के साथ विदा हो जाएगी उसी नियत से दोनों परिवार परामर्श केंद्र में उपस्थित हुए और आपसी विचार विमर्श के बाद दोनों केंद्र से खुशी-खुशी रवाना हो गए इस bat पर सहमति बनी कि दोनों के माता पिता या परिवार वाले दोनों के वैवाहिक जिंदगी में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे मामला को सुलझाने में केंद्र की संयोजिका सह महिला थानाध्यक्ष अध्यक्ष किरण वाला सदस्य दिलीप कुमार दीपक स्वाति वैश्य यंत्री रविंद्र शाह जीनत रहमान बबीता चौधरी एवं कार्यालय सहायक नारायण साह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एक अन्य मामला पूर्णिया शहर के मधुबनी के एक पिता और उनके दो पुत्रों के बीच का आया जिसमें पिता ने यह शिकायत की थी उसके बड़े पुत्र द्वारा उसके साथ उसकी पत्नी के साथ मारपीट किया जाता है वही बड़े पुत्र का आरोप था उसके पिता ने छोटे बेटे को आधी जमीन रजिस्ट्री कर दी है लेकिन मुझे नहीं कर रहे हैं पिता का कहना था कि छोटा बेटा रजिस्ट्री का खर्चा दिया बड़ा बेटा भी रजिस्ट्री का खर्चा दे दे तो उसके नाम से मैं रजिस्ट्री कर दूंगा लेकिन बड़ा बेटा इस बात का बांड बना दे भविष्य में कभी भी अपने माता पिता के साथ मारपीट या गाली गलौज नहीं करेगा बात बन गई लेकिन बड़ा पुत्र ने कहा मैं अपने वकील से सलाह ले कर के ही कुछ कर सकता हूं केंद्र ने समझाया बिना ₹1 खर्च किए हुए उसका काम आसानी से हो जाएगा किंतु यही मामला जब न्यायालय में जाएगा तो महीनों कौन कहे सालों लग जाएगा बड़े पुत्र ने कहा अगले सप्ताह इस केंद्र में उपस्थित होकर अपना फैसला सुनाएगा।