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पूर्णिया विश्वविद्यालय में प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय वेबिनार का किया गया आयोजन।

पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया बिहार के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर “प्रेमचंद : साम्राज्यवाद और आज ” विषय पर माननीय कुलपति प्रोफ़ेसर( डॉ) राजनाथ यादव महोदय जी के निर्देशानुसार एक राष्ट्रीय बेविनार का आयोजन किया गया ।विषय निर्देशित करते हुए माननीय कुलपति महोदय ने कहा कि प्रेमचंद आज भी सर्वाधिक पढ़े जाने वाले रचनाकारों में हैं।जब वे लिखते थे तब भारत में साम्राज्यवाद था और आज उपभोक्तावाद ।इस बदले हुए परिवेश में प्रेमचंद को नए ढंग से पढ़ने की जरूरत है। वस्तुतः कथा सम्राट प्रेमचंद की रचनाएं आज भी जीवंत और प्रेरणादाई हैं।वेबीनार के मुख्य वक्ता के रूप में जे .एन .यू. के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ रामचंद्र जी ने प्रेमचंद के समग्र साहित्य पर विस्तार से चर्चा की।प्रेमचंद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रेमचंद जिस समय समाज के लेखक रचनाकार थे वह समय समाज जिन साम्राज्यवादी चंगुल में फंसा हुआ था उनका साहित्य साम्राज्यवादी वादी ताकतों के विरुद्ध एक हथियार का काम करता है।प्रोफेसर रामचंद्र जी ने यह भी कहा कि प्रेमचंद केवल साम्राज्यवाद से मुक्ति की बात हो नहीं करते थे वह वर्ण वाद से मुक्ति की बात करते थे वह दलितों के मुक्ति की बात करते थे और आजादी के बाद वह मिलना था इस देश को मिलना था लेकिन आज इतने दिनों बाद भी आजादी के 70 साल बाद भी प्रेमचंद का वहसपना आज भी पूरा नहीं हुआ यह बहुत दुखद बात है।प्रेमचंद जयंती समारोह के विशिष्ट वक्ता के रूप में पूर्णिया कॉलेज के प्रधानाचार्य महोदय ने प्रेमचंद साहित्य पर अपना विचार प्रकट किया।प्राचार्य महोदय ने कहा साम्राज्यवाद का अवसान पूंजीवाद में हुआ और आज बाजारवाद है साम्राज्यवाद में प्रेमचंद ने जिस साहित्य की रचना की जिन मूल्यों को गढ़ा वह साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के लिए था और आज बाजारवाद से लड़ने के लिए प्रेमचंद का साहित्य यथार्थ है।डॉ सुरेंद्र नारायण यादव ने इस बात पर खेद प्रकट किया कि प्रेमचंद के साहित्य की रचना 100 वर्ष पूर्व हुई है और इन 100 सालों में भी प्रेमचंद ने जिन समस्याओं को उद्घाटित करते हुए अपनी रचना की वह समस्या है आज भी अपने बदले हुए रूप में बनी हुई है यह हमारे लिए बहुत दुख की बात है।इसके पूर्व दीप प्रज्वलित कर कथा सम्राट प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि देकर राष्ट्रीय वेबीनार का उद्घाटन पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ मोहम्मद कमाल साहब ने किया।इस मौके पर विभाग के सारे प्राध्यापक भी मौजूद रहे।स्वागत भाषण करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ कामेश्वर पंकज ने सर्वप्रथम कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर राजनाथ यादव का स्वागत किया और कहा कि उनके ही आदेशानुसार राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।वही मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ मिथिलेश मिश्र,जेएनयू के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ रामचंद्र,रेनू साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित समीक्षक डॉ सुरेंद्र नारायण यादव एवं पूर्णिया कॉलेज के प्रधानाचार्य मोहम्मद कमाल साहब का स्वागत किया गया।इस कार्यक्रम के संचालन में विभागीय प्राध्यापक पुरंदर दास,डॉ श्रीमती अनामिका सिंह,श्रीमती प्रेरणा,डॉ वंदना भारती एवं संजीव कुमार गुप्ता का भी मुख्य योगदान रहा।

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