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पूर्णिया विश्वविद्यालय में छात्रों की मांग को लेकर सीनेट बैठक का अभाविप ने किया जोरदार विरोध प्रदर्शन व घेराव।

पूर्णिया विश्वविद्यालय में बुधवार को आहुत पहली सीनेट बैठक में विश्वविद्यालय में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता, अनियमितता, भ्रष्टाचार एवं छात्रों के विभिन्न मांग को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विश्वविद्यालय इकाई ने घेराव किया। बैठक प्रारंभ होने से पूर्व चारों जिला क्रमशः पूर्णिया, कटिहार, अररिया एवं किशनगंज के परिषद कार्यकर्ताओं ने परिसर पहुँच कर छात्रों की मांग को लेकर परिसर को घेरकर मुख्य द्वार पर शांति पूर्ण प्रदर्शन करने लगा। इस दौरान भारत माता की जय, वन्दे मातरम्, विद्यार्थी परिषद जिंदाबाद, छात्र उठा है अब ललकार नही सहेगा भ्रष्टाचार, छात्रहित का हनन हुआ तो संघर्ष होगा सड़कों पर आदि जोरदार नारे लगाए गए। इस बीच बातचीत के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के कई पदाधिकारी आए, लेकिन कुलपति राजनाथ यादव के आने तक एक ना सूनी। सीनेट एवं सिंडिकेट सदस्यों को अंदर नही आने दिया जा रहा था। बीच-बीच में परिषद कार्यकर्ताओं से विश्वविद्यालय प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन को आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन का सामना करना पड़ा और तीखी नोकझोक हुई। खुद कुलपति राजनाथ यादव परिषद कार्यकर्ताओं से बातचीत के लिए आगे आए। परिषद कार्यकर्ताओं को शैक्षणिक समस्याओं का निवारण एवं छात्रों के 21 सूत्री मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया। अभाविप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद सदस्य शशि शेखर के नेतृत्व में परिषद कार्यकर्ताओं ने 21 सूत्री मांगों को पढ़कर सुनाया गया, जो इस प्रकार है:-

  1. यूजी/पीजी में नामांकन हेतु यूआईएमएस साईट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन दिया जाता है, जिसमें व्यापक गड़बड़ी है। गड़बड़ी का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। साईट का टेंडर ऐसे कंपनी को दे दिया गया है, गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखते हैं। इसमें अविलंब सुधार की जरूरत है।
  2. पूर्णिया विश्वविद्यालय द्वारा संचालित मात्र दो बीएड काॅलेज है, जो विश्वविद्यालय मुख्यालय से बाहर है। कहीं ना कहीं नीजी बीएड काॅलेज को फायदा दिया जा रहा है, जहां छात्रों का आर्थिक शोषण होता है। विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक वसूल किया जाता है। मुख्यालय में एक बीएड काॅलेज एवं विशेष कर महिलाओं के लिए भी होना चाहिए।
  3. बिहार सरकार द्वारा जारी आदेशानुसार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं सभी कोटि के छात्राओं का शुल्क मांफ किया गया है, लेकिन इसके बावजूद नामांकन शुल्क वसूल किया गया है, जिसमें स्नातक सत्र: 2018-20 एवं स्नातकोत्तर सत्र: 2018-21 का शुल्क अभीतक वापस नहीं किया गया है। अविलंब छात्र-छात्राओं के खाते में शुल्क वापस किया जाए।
    4.स्नातक/स्नातकोत्तर, वोकेशनल कोर्स, बीएड, बीसीए एवं सीएनडी कोर्स प्रथम खंड सत्र: 2018-20 का अंकपत्र अभी तक जारी नहीं किया गया है। जिससे छात्रों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। अंकपत्र अविलंब जारी किया जायजाय, वही एमबीए की मान्यता को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने क्या प्रयास किया गया यह स्पष्ट करना चाहिए।
  4. जीएलएम काॅलेज बनमनखी में वर्ष:1998 से बंद स्नातकोत्तर की पढ़ाई प्रारंभ होना चाहिए। कामर्स फैकल्टी, भूगोल, समाजशास्त्र, गृह विज्ञान, संगीत विषयों में पढ़ाई अविलंब प्रारंभ होना चाहिए, क्योंकि बनमनखी अनुमंडल में एकमात्र अंगीभूत इकाई जीएलएम काॅलेज है। यह क्षेत्र शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण पिछड़ा है। महिला कॉलेज में एक ही विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है अन्य विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई प्रारंभ की जाए।
  5. सभी अंगीभूत इकाई महाविद्यालय में पांच-पांच नया वर्ग कक्ष बनाया जाय, उसमें सभी सुविधा उपलब्ध कराया जाए।
  6. सभी संबद्ध डिग्री महाविद्यालय तथा विधि महाविद्यालय के प्रबंध समिति का कार्यकाल अधिक हो गया है। प्रबंध समिति शासी निकाय को भंग कर नया निकाय का गठन किया जाए।
  7. जून 2016 में नियुक्त अनुकंपा कर्मी को 500 दिन में वेतन भुगतान नहीं हुआ है, जो विश्वविद्यालय प्रशासन पर प्रश्न चिन्ह पैदा करता है। अविलंब वेतन भुगतान किया जाए।
  8. सभी शैक्षणिक कार्य एवं छात्र-छात्राओं के समस्याओं का समाधान के लिए सिंगल विंडो का व्यवस्था किया जाए।
  9. पीएचडी प्रवेश परीक्षा-2020 का परीक्षा फॉर्म 1000 रुपया परीक्षा शुल्क लेकर भराया गया, लेकिन अभी तक इस विद्यालय प्रशासन ने कोई पहल नहीं किया है, अविलंब प्रवेश परीक्षा लिया जाए।
  10. स्नातक/स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की डिग्री दीक्षांत समारोह के माध्यम से दिया जाए।
  11. सभी महाविद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय को अपग्रेड कर सुचारू रूप से संचालित किया जाए।
  12. विश्वविद्यालय परिसर में एक राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाय, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर पीठ, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ एवं महान लेखक फणीश्वरनाथ रेणु पीठ के लिए विधिवत जगह दिया जाए। उनके पुस्तक और कट आउट उपलब्ध कराया जाए, साथ ही साथ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पीठ के लिए पहल किया जाए।
  13. विश्वविद्यालय अंतर्गत खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधि को अभिलंब प्रारंभ किया जाए। साथ ही सभी महाविद्यालयों जिम सेंटर खोला जाए, जो छात्रों की शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। जिससे छात्रों में आपसी सद्भावना बना रहे।
  14. सभी महाविद्यालयों में आर्थिक और मानसिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए ट्यूटोरियल क्लासेज प्रारंभ किया जाए। जिससे उनके पढ़ाई में मदद मिल सके।
  15. विश्वविद्यालय अंतर्गत दैनिक परिश्रमिक पर कार्यरत कर्मी लगभग 20 वर्ष से कार्य कर रहे हैं परिसर में संविदा कर्मियों के बराबर किया जाए।
  16. आउटसोर्स पर बहाल कर्मियों जो निष्क्रिय हैं, उस पर कार्रवाई की जाए और जो कार्यशील हैं, उन्हें सम्मानजनक वेतन दिया जाए।
  17. अतिथि शिक्षक को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की क्या मंशा है? स्पष्ट किया जाए। जिन विषयों में छात्र ज्यादा हैं, उसमें अतिथि शिक्षक उपलब्ध कराया जाए और जिसमें कम है उसमें अतिथि शिक्षक कम किया जाए। जिससे विश्वविद्यालय को वित्तीय नुकसान से बचाया जा सके।
  18. विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी वर्ग कक्ष ठीक किया जाए, जो जर्जर स्थिति में है। क्योंकि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। सभी वर्ग के ब्लैकबोर्ड को दुरुस्त किया जाए या ग्रीनबोर्ड, व्हाइटबोर्ड, स्मार्टबोर्ड में बदल दिया जाए।
  19. विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा और परिणाम समय नियमित करवाया जाए।
  20. विश्वविद्यालय के ऊपर जो भी बकाया राशि है, अविलंब भुगतान किया जाए। क्योंकि लोगों के बीच विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है, छवि को बचाया जाए।
    प्रदेश सहमंत्री रवि गुप्ता ने कहा कि शैक्षणिक समस्या एवं छात्रों की मांग को प्रमुखता से रखा जाय, अन्यथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होगी। जिसकी सारी जबावदेही विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सीनेट/सिंडिकेट सदस्य की भी होगी। विश्वविद्यालय प्रशासन हर छोटी मोटी बात पर पुलिस प्रशासन को परिसर में नहीं बुलाए, अन्यथा विद्यार्थी परिषद चुप नहीं बैठेगा। विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ता अनुशासित छात्र है ना कि आतंकी है। छात्रों की मांग हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। सीनेट बैठक सिर्फ बजट पास करने के लिए ना हो, वास्तव में छात्रों के मांग पर विचार करना चाहिए। सीनेट बैठक का एजेंडा 24 घंटे पहले जारी होना चाहिए।
    इस मौके पर जिला संगठन मंत्री पूर्णिया सूर्यानंद राय, जिला संयोजक अभिषेक आनंद पूर्णिया, आशीष झा कटिहार, अमित मंडल किशनगंज, जिला एसएफएस प्रमुख कुमार गौरव, राजेश श्रीवास्तव, छोटू यादव, अभिषेक सिंह, साजन कुमार, बादल भगत, मनीष कुमार, विशाल कुमार, जीवछ कुमार यादव, विजय पासवान, चंदन कुमार, कुंदन कुमार नंदन, आभास दर्बे, विवेक राज, विक्रांत सिंह, रोहित कुमार, राजा यादव, अविनाश दुबे, प्रिंस दुबे, राज, वासुदेव, रणवीर, राहुल मिश्रा, रवि झा, आनंद, गुरुदत्त कुमार, आशीष झा, मनीष कुमार विश्वास, प्रिंस यादव,दीपक,मनु,अभिजीत,गौरव सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।

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