PURNEA

अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा रेणु उद्यान के प्रांगण में तीन नए कृषि कानून के खिलाफ अनिश्चित कालीन धरना शुरू |

इस धरने को किसान समन्वय समिति, पूर्णियाँ तथा इंकलाब फाउंडेशन समर्थन दे रहे हैं।धरने पर बैठे वक्ताओं ने विस्तार पूर्वक तीनों कृषि कानून कि खामियाँ गिनाईं अखिल भारतीय किसान महासभा के पूर्णियाँ जिला अध्यक्ष मोहम्मद ईस्लामुद्दीन ने The Essential Commodities (Amendment) Bill 2020 को विस्तार पूर्वक समझाते हुए कहा कि इस बिल के अनुसार चावल, दाल, आटा, आलू, चीनी, प्याज, भोज्य तेल, सहित अति आवश्यक मालों को भोजन की सूची से निकाल दिया गया है, और भंडारण की अधिकतम सीमा को भी हटा दिया है!1955 ई. में इस कानून का उद्देश्य ही था, अन्नाभाव के दौरान सरकार सीधे किसानों से खाद्यान्न खरीद कर जन-वितरण प्रणाली के माध्यम से आम लोगों के बीच वितरण करेंगी! अब से किसानों से दैनन्दिनी जरूरत के अनाज किसानों से खरीदने के लिए अब सरकार मजबूर नहीं होगी. इसके साथ ही, कारपोरेट व्यवसायी लोग अभी से अपनी मर्जी के मुताबिक जितनी इच्छा उतने समय तक खाद्यान्नों को गोदामों में भर कर रख सकेंगे और कृत्रिम तौर पर बाजार भाव पर नियंत्रण रख सकेंगे!वहीं दूसरे कृषि कानून कि खामियों को गिनाते हुए किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष आलोक यादव ने बताया कि The Farmers Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020 जिसका आकर्षक नाम है; “मूल्य स्थिरता” किसानों के साथ सीधे-सीधे पेप्सिको, अडानी, रिलायंस की जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां समझौता कर पाएंगी ब्रिटिश राज मे जिस प्रकार नील-खेती की प्रथा थी वही थोड़ा घुमा-फिराकर आ रही है! बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ किसानों के समझौते होने पर किसी कारणवश उत्पादित फसल उन्हें पसंद न आये तो उसको न खरीदना; या प्राकृतिक आपदाओं के फलस्वरुप फसल नष्ट होने पर उसकी आर्थिक क्षति की ज़िम्मेवारी कंपनियों को लेने की बाध्यता नहीं होती थी।इस पर सरकार कह रही है, उस मामले में क्षतिपूर्ति के लिए किसान जनता कानून के दरवाजे खट-खटा सकते हैं उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि क्या गरीब-किसान- राम-श्याम को इतनी आर्थिक क्षमता होगी कि अमीरों के साथ लड़कर मुकदमें जीत पायेंगे?
धरने को समर्थन दे रहे इंकलाब फाउंडेशन के संस्थापक सह अध्यक्ष तथा किसान समन्वय समिति पूर्णियाँ के संयोजक नियाज अहमद ने तिसरे कृषि कानून The Farmers Produces Trade and Commerce Bill- 2020 पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला तथा देश के किसानों के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत की जनसंख्या का 52% परिवार कृषि पर निर्भर हैं,देश में कृषि कार्यों से जुड़े 14.65 करोड़ परिवारों में से 54.60% परिवार भूमिहीन हैं, और हमारे देश में हर 12 मिनट 37 सेकंड में एक किसान आत्महत्या का रास्ता अपनाने पर मजबूर होता है और उसी देश में लाखों करोड़ रुपये कारपोरेटों के ऋण माफी, टैक्स-माफी, बिजली बिल माफी होती हैं, लगभग तीन दर्जन पूंजीपतियों को हजारों करोड़ कर्ज बिना चुकाये विदेश भागने की छूट मिल जाती है, सोचिए उसी देश में कुल 80 हजार करोड़ का किसानों की कर्जमाफी नहीं करने से 3 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। ये तीनों कृषि कानून महज कानून नहीं है ये काला कानून किसानों के लिए डेथ वारंट है सरकार हर पल किसानों को कारपोरेटों के पांवों तले रौंदवा कर मारना चाहती है।
इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय किसान महासभा के सचिव अभिनाश पासवान, मोहम्मद मुख्तार वासुदेव शर्मा, जय लाल यादव,तबारक हुसैन, सुलेखा देवी, सत्येंद्र कुमार, हरिलाल पासवान, नित्यानंद ऋषि, मिना देवी, नाजरा खातुन, बिन्देश्वरी शर्मा, वकील चौधरी, संजो देवी आदि समेत रूपौली, धमदाहा, एंव बनमनखी से आए हुए बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *