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एमआरपी पर यूरिया बेचने के सरकार के फरमान के बाद बिहार राज्य खुदरा उर्बरक बीज कीटनाशी संघ ने न्यायालय का किया रुख।

संघ के अधिवक्ता अरुण कुमार मंडल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बताया कि खुदरा दुकानदार 240 से 250 में यूरिया खरीदते ही है फिर जीएसटी लगाकर 266 रुपया के आसपास आ जाता है।इसके अलावा बिक्रेताओं का वाहन भाड़ा और मजदूर के रूप में 20 से 40 रुपया तक खर्च होता है,जोकि 285 से 300 तक आ जाता है।अगर 266.50 पैसा रुपया में खुदरा दुकानदार यूरिया बेचेंगे तो उन्हें नुकसान होगा।ऐसी स्थिति में दुकानदार अपनी दुकान बंद कर देंगे या यूरिया का उठाव नहीं करेंगे।श्री मंडल ने बताया कि सरकार का यह निर्देश अब्यवाहारिक को बढ़ावा देने वाला है।क्योंकि एमआरपी से ज्यादा खर्च होने पर दुकानदार स्वाभाविक रूप से अपना फायदा लेकर ही माल बेचेंगे।उन्होंने कहा कि सरकार या दुकानदारों को पहुँचाकर यूरिया दे या फिर फर्टिलाइजर कंट्रोल आर्डर 1985 में बदलाव करें।उन्होंने कहा कि अधिकारी को भी पता है एमआरपी पर खाद नहीं बिक सकता है,फिर भी उनसे शपथ पत्र लिया जा रहा है।उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।इन्ही सब मुद्दे को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर किया जा रहा है, जिसमे बिहार सरकार से लेकर भारत सरकार को भी पार्टी बनाया जाएगा।क्योंकि यह सिर्फ पूर्णियाँ का ही नही बल्कि पूरे बिहार का मुद्दा है।उन्होंने कहा कि अभी खरीफ का सीजन है।ऐसे में किसानों को यूरिया की सख्त आवश्यकता है।मगर सरकार किसान की समस्याओं को न देखकर सिर्फ अपना निर्देश पालन कराने में लगी है।

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