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न्यू सिपाही पासवान टोला मे मां विषहरी पूजा धूमधाम से मनाई गई,जानिए विषहरी पूजा की क्या है विशेषता।

पासवान टोला में विषहरी पूजा के दौरान उमड़ी लोगों की भीड़।

न्यू सिपाही पासवान टोला वार्ड नं० 7 में आस्था का पर्व मां विषहरी की पूजा धूमधाम से मनाई गई।हम आपको बता दें कि विषहरी पूजा को लेकर मोहल्ले वासियों द्वारा मां विषहरी की प्रतिमा (मूर्ति) भी बैठाई जाती है।इसकी शुरुआत एक-दो दिन पहले से ही हो जाती है,जिसमें मोहल्ले की महिलाओं द्वारा मां विषहरी गीत गाजे- बजे के साथ गाए जाते हैं।वहीं न्यू सिपाही पासवान टोला में मां विषहरी पूजा के दिन स्थानीय भगत कमलेश्वरी पासवान एवं अन्य भगतो के द्वारा मनोकामना पूर्ण करने हेतु लोगों द्वारा चढ़ाए गए फूल, फल,मिठाई उठा कर आशीर्वाद देते हैं इस मां विषहरी स्थान से कई वर्षों से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती आ रही हैं।मान्यताओं के अनुसार माँ विषहरी की कहानी चंपानगर के तत्कालीन बड़े व्यावसायी और शिवभक्त चांदो सौदागर से शुरू हुई थी।विषहरी शिव की पुत्री कही जाती हैं लेकिन उनकी पूजा नहीं होती थी। विषहरी ने सौदागर पर दबाव बनाया पर वह शिव के अलावा किसी और की पूजा को तैयार नहीं हुए।गुस्से से आक्रोशित विषहरी ने उनके पूरे खानदान का विनाश शुरू कर दिया।छोटे बेटे बाला लखेन्द्र की शादी बिहुला से हुई थी।उनके लिए सौदागर ने लोहे का एक घर बनाया ताकि उसमें एक भी छिद्र न रहे।यह घर अब भी चंपानगर में मौजूद है।विषहरी ने उसमें भी प्रवेश कर लखेन्द्र को डस लिया था।सती हुई बिहुला पति के शव को केले के थम से बने नाव में लेकर गंगा के रास्ते स्वर्गलोक तक चली गई और पति का प्राण वापस कर ले आयी।सौदागर भी विषहरी की पूजा के लिए राजी हुए लेकिन बाएं हाथ से।तब से लेकर आज तक विषहरी पूजा में बाएं हाथ से ही पूजा होती है।

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