राष्ट्रपति कोविंद ने जताई कोरोना महामारी के समाप्त होने की उम्मीद

नई दिल्ली। राष्ट्रपति ने आने वाले समय में कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी समाप्त होने की उम्मीद जताते हुए बुधवार को कहा कि हाल के वर्षों में डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के कारण भारत में कोरोना के कारण उत्पन्न गतिशीलता संबंधी प्रतिबंधों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सफल रहा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने इस संकट का उपयोग आगे बढ़ने के अवसर के रूप में किया।
राष्ट्रपति ने आबादी के एक हिस्से के अभी भी डिजिटल उपकरणों और सेवाओं के लाभ को उठाने में सक्षम नहीं होने का भी जिक्र किया और प्रभावी नवोन्मेष के जरिए इन्हें डिजिटल पहुंच उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया।
राष्ट्रपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डिजिटल इंडिया अवॉर्ड 2020 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, यह साल अब समाप्त होने वाला है और हमें उम्मीद है कि महामारी भी जल्द ही समाप्त हो जाएगी। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कोरोनावायरस ने सामाजिक संबंधों, आर्थिक गतिविधियों, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और जीवन के कई अन्य पहलुओं के मामले में दुनिया को बदल दिया है।
कोविंद ने कहा कि भारत न केवल गतिशीलता-प्रतिबंधों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए तैयार था, बल्कि विभिन्न मोर्चो पर आगे बढ़ने के अवसर के रूप में इस संकट का भी उपयोग किया। यह केवल इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हाल के वर्षों में डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और हमने भारत को और आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। आने वाले दिनों में हमारी इस यात्रा में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण प्रवर्तक बनने जा रही है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में और शासन के सभी स्तरों पर आधुनिक तकनीकों को लागू करने और अपनाने में भारत सबसे आगे रहा है। हमें सभी नागरिकों के जीवनयापन में सुधार के उद्देश्य से अभिनव समाधान देने के लिए खुद को चुनौती देते रहना होगा।
कोविंद ने कहा कि हमें प्रौद्योगिकी और आईसीटी आधारित नवोन्मेषी समाधान का उपयोग हमारे देश के सुदूर क्षेत्रों में भी आर्थिक समावेशिता और सामाजिक बदलाव के लिए करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, हमारी आबादी का एक हिस्सा अब भी डिजिटल उपकरणों और सेवाओं के लाभ को उठाने में सक्षम नहीं है।
प्रभावी नवोन्मेष के जरिए डिजिटल पहुंच सुगम बनाकर ऐसे लोगों की संख्या को कम करने की जरूरत है। इससे हमारी डिजिटल क्रांति और समावेशी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान शिक्षा का काम बिना रूकावट के जारी रहा क्योंकि अधिकतर संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कीं। न्यायपालिका से टेलीमेडिसिन सहित अलग-अलग क्षेत्रों ने डिजिटल माध्यम को अपनाया।