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रेज्ड बेड तकनीक से गेंहूँ की खेती कर रहे किसान,पूर्णिया जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान।

जिला पदाधिकारी राहुल कुमार ने जल जीवन हरियाली अभियान के अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के सहयोग से कसबा प्रखंड अंतर्गत ढोलबज्जा में रेज्ड बेड तकनीक से किए जा रहे गेहूं और मक्के की फसल के खेती कार्य का निरीक्षण किया और इस तकनीक से खेती कर रहे किसानों के साथ बातचीत कर पूरी जानकारी ली। किसानों से संवाद कार्यक्रम में बताया गया कि इस तकनीक के तहत सबसे पहले जीरो टिलेज सीड ड्रिल से गेहूं की बुवाई कराई जाती है। इह तकनीक से बुवाई करने पर कई बार खेती की जुताई नहीं करनी पड़ती है। जिससे खेत की महंगी जुताई में होने वाले खर्च की बचत होती है।तकनीक आधारित खेती करने से बीज, खाद और पानी अपेक्षाकृत 20 से 30 फ़ीसदी कम लगता है। इससे फसल तैयार होने में भी वक्त कम लगता है जबकि पैदावार अपेक्षाकृत 30 से 40 फीसदी अधिक होती है। किसानों ने बताया कि जलालगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के सहयोग से उन लोगों द्वारा नई तकनीक से खेती की जा रही है। इससे उन्हें काफी फायदा हुआ है जिससे उनकी आर्थिक उन्नति हो रही है। जलालगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ढोलबज्जा गांव के खेत में नार्मल गेहूँ लगाया है तथा बगल के खेत में रेज्ड बेड तकनीक से गेहूं लगाया गया है। जिसका जिला पदाधिकारी ने आज जायजा लिया। निरीक्षण में अंतर स्पष्ट हुआ की रेज्ड बेड तकनीक से लगाया गए फसल काफी अच्छी स्थिति में है। कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के सहयोग से गांव के सैकड़ों किसानों द्वारा 630 एकड़ में इस नवीन तकनीक से गेहूं की खेती की जा रही है।जिलाधिकारी द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र के कार्य को सराहनीय बताया तथा किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रचंड कृषि पदाधिकारी को गांव के किसानों को पुरस्कृत करने का निर्देश दिया।

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