पूर्णियाँ शहर के आरएनसाव चौक पर किसान समन्वय समिति द्वारा तीनों कृषि कानून के विरोध में कृषि कानून कि प्रतियां जलाई गई।
किसान समन्वय समिति पूर्णिया के संयोजक ने तीनों कृषि कानून के वापसी के साथ साथ न्युनतम समर्थन मुल्य पर भी कानून बनाने की मांग पर जोड़ देते हुए कहा कि कृषि से उत्पादित हरेक वस्तु का मुल्य निर्धारण कम्पनियाँ कर सकती है,तो किसान के उपजाए हुए फसल का न्यूनतम मुल्य का निर्धारण क्यों नहीं किया जाना चाहिए।उन्होंने कृषि कानून कि त्रुटियाँ बताते हुए कहा कि काॅनट्रेंकट फार्मींग के कानून से भूमिहीन किसान जो बटाई पर खेत लेकर खेती करते थे,वो पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।उन्होंने सरकार से सवाल पुछा कि सरकार ये बताए कि जमाखोरी और कालाबाजारी से सरकार किसे फायदा पहुंचाना चाहतीं हैं,केंद्र सरकार की कौन सी मजबुरी है,जिसके कारण सरकार जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने पर अड़ी है।मौके पर उपस्थित अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था अथवा कानून के समर्थक रहे हैं,किसान इस फैसले से निराश है।इस कार्यक्रम में अनिरुद्ध मेहता,शत्रुघन यादव,दिनेश शर्मा,ईरशाद पूर्णवी,विमल मेहता,बबलू गुप्ता,कुमारसाहब, हरीलाल पासवान,यमुना मुरमुर,विश्वजीत मेहता,रमण विश्वास,मंगल कुमार,अजहर हुसैन, संजीव कुमार,विनोद यादव,डॉ राजकुमार सिन्हा,उपेंद्र यादव , विनोद यादव समेत जिले के अन्य स्थानों से आए लोगों ने भाग लिया।