BIHAR

पूर्णिया विश्वविद्यालय संघ अपनी समस्याओं को लेकर उपमुख्यमंत्री से मिले।

रविवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद से बिहार राज्य विश्वविद्यालय अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ,पूर्णिया विश्वविद्यालय,पूर्णिया इकाई के अध्यक्ष चन्दन सिंह एवं रजनीश कुमार ने मुलाकात किया और विभिन्न विश्वविद्यालयों/ महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा से संबंधित विभिन्न बिंदुओं और उनकी समस्याओं से अवगत कराया।उन्होंने यूजीसी मापदंड के अनुसार स्वीकृत पद पर नियुक्त अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा विस्तार 65 वर्ष करने व स्वीकृत पदों पर नियुक्त पदों को छोड़कर शेष रिक्त पदों पर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा विज्ञापित पदों पर बहाली करने को लेकर प्रस्ताव रखा।साथ ही कहा कि बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में लगभग 1800 अतिथि सहायक प्राध्यापक उच्च शिक्षा को गति दे रहे हैं। इन सभी अतिथि सहायक प्राध्यापकों के योगदान के बाद विश्वविद्यालयों/महाविद्यालय में उच्च शैक्षणिक व्यवस्था बेहतर हुई है। यहां तक की कोरोना महामारी के दौरान भी अतिथि शिक्षकों ने डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से अपनी सेवाएं को जारी रखा ।शिष्टमंडल ने उप मुख्यमंत्री को बताया कि बिहार सरकार में वर्ष 1982 एवं 1986 में अस्थायी सहायक प्राध्यापकों को नियम-परिनियम के अनुसार नियमितीकरण किया गया था तथा वर्ष 2003 में प्राथमिक विद्यालय एवं मध्य विद्यालय में शिक्षा-मित्र की बहाली को 2006 में नियोजित शिक्षकों का दर्जा बिहार सरकार के द्वारा दिया गया था एवं अभी वर्तमान में उन शिक्षकों को वेतनमान भी दिया जा रहा है।कहा कि बिहार प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल सरकार, हिमाचल प्रदेश सरकार एवं अन्य प्रदेशों में नियम-परिनियम के अनुसार अतिथि सहायक प्राध्यापकों को नियमित किया गया है। वर्तमान में हरियाणा सरकार के द्वारा नियुक्त अतिथि सहायक प्राध्यापकों को नियम-परिनियम के दायरे में निश्चित मानदेय पर नियमित किया गया है। साथ ही मध्य प्रदेश सरकार एवं झारखंड सरकार के द्वारा भी अतिथि सहायक प्राध्यापकों को नियमितीकरण करने के लिए कहा गया है एवं प्रक्रियाधीन है।श्री सिंह व श्री कुमार ने यूजीसी के निर्देशित पत्र का हवाला देते हुए अतिथि शिक्षकों का मानदेय तकाल बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रतिमाह करने की मांग किया। साथ ही कहा कि विश्वविद्यालय को इसी पत्र के आलोक में निर्देश दिया जाए कि स्वीकृत पद के अतिरिक्त 20% अधिक अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा ले सके जिससे कि छात्र-शिक्षकों का अनुपात एवं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बना रहे।चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री ने बातों को गंभीरता से लिया आश्वासन भी दिया कि अतिथि सहायक प्राध्यापकों के सुरक्षित भविष्य के लिए सोचा जाएगा और भविष्य में हर संभव मदद का भरोसा दिया।

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